पाकिस्तान में राजनीतिक संकट गहराया
इस्लामाबाद। पाकिस्तान में प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के इस्तीफे की मांग को लेकर पिछले एक हफ्ते से देश की राजधानी में हो रहे विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला समाप्त होते नजर नहीं आ रहा है। करीब दो हजार लोग संसद को घेरे हुए हैं।
सरकार ने इस संकट के समाधान के लिए विरोधी दल के नेता इमरान खान व पाकिस्तान अवामी तहरीक (पीएटी) के अध्यक्ष मौलवी ताहिर उल कादरी के साथ जो बातचीत शुरू की थी वह गुरुवार को नाकाम हो गई। क्रिकेटर से नेता बने इमरान खान ने पाकिस्तान के आंतरिक मामले में अमेरिका के हस्तक्षेप का आरोप लगाया है।
प्रदर्शनकारी पिछले साल हुए संसदीय चुनाव में धांधली को लेकर शरीफ के इस्तीफे से कम पर कुछ भी सुनने को तैयार नहीं हैं। दूसरी ओर पाकिस्तानी संसद के निचले सदन नेशनल असेंबली ने गुरुवार को सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर प्रधानमंत्री शरीफ के इस्तीफे और असेंबलियों को भंग करने की प्रदर्शनकारियों की मांग नामंजूर कर दी। इस तरह राजनीतिक संकट और गहरा गया है।
सदन में महमूद खान अचाकजाई के प्रस्ताव में प्रदर्शनकारी नेताओं द्वारा अपने भाषण में प्रधानमंत्री और संसद के खिलाफ अपमानजनक, निंदात्मक और उत्तेजक भाषा के प्रयोग पर अफसोस जाहिर किया गया। सदन ने इस बात पर सहमति जताई कि संविधान की सर्वोच्चता, संसद की संप्रभुता और कानून का शासन लोकतंत्र के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं।
देश में वकीलों के दो संगठनों पाकिस्तान बार काउंसिल और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने लोकतंत्र का समर्थन करने और संविधान की सर्वोच्चता सुनिश्चित करने के लिए गुरुवार को हड़ताल रखी। इमरान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटी आइ) पार्टी और कादरी के नेतृत्व वाले पैट द्वारा आयोजित धरने को लेकर इस्लामाबाद में बड़ी संख्या में सुरक्षा कर्मी तैनात किए गए हैं। ये ऊबे हुए महसूस कर रहे हैं।
एक अन्य घटनाक्रम में सरकार विरोधी प्रदर्शनों को देखते हुए शरीफ ने गुरुवार को राष्ट्रपति ममनून हुसैन से मुलाकात कर देश के वर्तमान राजनीतिक संकट पर चर्चा की। वहीं प्रदर्शनकारियों के नेताओं ने भी गतिरोध समाप्त करने के लिए सरकार के साथ बातचीत की। इस गतिरोध को देखते हुए पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता की आशंका उत्पन्न हो गई है।
वहीं पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने संसद की घेराबंदी कर रहे प्रदर्शनकारियों को हटाने का आदेश देने संबंधी सरकार की अर्जी खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि यह प्रशासनिक मामला है और इससे कानून के मुताबिक निपटा जाना चाहिए।
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