मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने एक ओर जहां खुद को अछूत बताकर समाज में छुआ-छूत कायम रहने की बात कही, वहीं यह कहकर भी चौंका दिया कि उनकी सरकार तो सिर्फ दस महीने की ही है। इसलिए उन्हें कुर्सी जाने का कोई डर नहीं है।
मुख्यमंत्री मांझी रविवार को पूर्व मुख्यमंत्री भोला पासवान शास्त्री की 100वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
कार्यक्रम में उन्होंने नीतीश के विकास वाले एजेंडे से हटकर लालू के जातीय राजनीति को सामने रखा। मांझी ने कहा कि समाज में छुआ-छूत आज भी कायम है और उच्चजाति के लोग दलितों को दबाने का काम करते हैं।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री होने के बाद भी मुझे अछूत समझा जाता है। महादलित समुदाय से आने वाले जीतन राम मांझी यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति में जन्म लेने में मेरा क्या कसूर है।
मांझी ने आरोप लगाया है कि विधानसभा उपचुनाव के दौरान जब वह मधुबनी गए थे तो लोगों के आग्रह पर उन्होंने मंदिर में पूजा की थी। बाद में नेता रामलखन राम ने उन्हें बताया कि जब वह मंदिर से पूजा करके बाहर निकल गए तो भगवान की मूर्तियों को धोया गया।
आगे पढ़ें >> बयान पर तेज हुई सियासत
मुख्यमंत्री मांझी रविवार को पूर्व मुख्यमंत्री भोला पासवान शास्त्री की 100वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
कार्यक्रम में उन्होंने नीतीश के विकास वाले एजेंडे से हटकर लालू के जातीय राजनीति को सामने रखा। मांझी ने कहा कि समाज में छुआ-छूत आज भी कायम है और उच्चजाति के लोग दलितों को दबाने का काम करते हैं।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री होने के बाद भी मुझे अछूत समझा जाता है। महादलित समुदाय से आने वाले जीतन राम मांझी यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति में जन्म लेने में मेरा क्या कसूर है।
मांझी ने आरोप लगाया है कि विधानसभा उपचुनाव के दौरान जब वह मधुबनी गए थे तो लोगों के आग्रह पर उन्होंने मंदिर में पूजा की थी। बाद में नेता रामलखन राम ने उन्हें बताया कि जब वह मंदिर से पूजा करके बाहर निकल गए तो भगवान की मूर्तियों को धोया गया।
आगे पढ़ें >> बयान पर तेज हुई सियासत
No comments