कहते हैं जहां भगवान वास करते हैं वहां उसके भक्तों की लंबी कतारें लगती हैं. उस परमात्मा की श्रद्धा की भूख भक्त को उस ओर खींच ले जाती है और ऐसा करने से उसे दुनिया की कोई भी ताकत रोक नहीं सकती. लेकिन भगवान के घर में भी आपको जाने की अनुमति ना मिले तो उसके भक्त आखिर कहां जाएं? कुछ ऐसी ही पाबंदियों से घिरा है मुस्लिमों का पाक स्थान ‘मक्का मदीना’.
मक्का मदीना को दुनिया भर में इसकी पवित्रता व आस्था के लिए जाना जाता है. विश्व के कोने-कोने से लोग इसके दर्शन को तरसते हैं और इसका सबसे बड़ा कारण है यहां पर गैर-मुस्लिमों को प्रवेश ना मिलना. मक्का मदीना में केवल मुस्लिम धर्म के लोग ही दाखिल हो सकते हैं और जो मुस्लिम नहीं हैं उन्हें अंदर जाकर पवित्र दर्शन करने की अनुमति नहीं है. आखिर इस तरह के सख्त नियम का कारण क्या है? क्या भगवान के घर जाने के लिए भी हमें किसी की अनुमति की आवश्यकता है? क्या श्रद्धा का भी जाति व धर्म के नाम पर बंटवारा किया जाता है?
मक्का मदीना सऊदी अरब में स्थित है. कहा जाता है कि इसी धरती पर इस्लाम का जन्म हुआ था और यही कारण है कि मुस्लिम धर्म से जुड़े सभी बड़े पाक स्थान सऊदी अरब में स्थित हैं. उस स्थान पर पवित्र काबा सुशोभित है जिसकी परिक्रमा की जाती है. कहा जाता है कि काबा के चारों ओर परिक्रमा करने पर इंसान धन्य हो जाता है. मुसलमानों के इस स्थान से हज की यात्रा आरंभ की जाती है. यहां पर दुनिया के कोने-कोने से मुसलमान पहुंचते हैं और यात्रा की शुरुआत करते हैं. इस पवित्र त्यौहार को ‘ईदुल अजहा’ कहा जाता है.
इस पवित्र स्थान पर पहुंचने के लिए आप मुख्य नगर जेद्दाह से जा सकते हैं. यदि आप जेद्दाह से मक्का जाने वाले मार्ग पर प्रवेश करेंगे तो जगह-जगह पर आपको कुछ निर्देश देखने को मिलेंगे जिस पर लिखा है कि मुसलमानों के अतिरिक्त किसी भी और धर्म का व्यक्ति प्रवेश नहीं कर सकता. इस मार्ग पर अधिकांश सूचनाएं अरबी भाषा में लिखी होती हैं, जिसे अन्य देशों के लोग बहुत कम जानते हैं.
काफिरों का प्रवेश प्रतिबंधित है
जेद्दाह से मक्का जाने वाले मार्ग पर कुछ समय पहले तक सूचनाओं में लिखा जाता था कि इस स्थान पर ‘काफिरों’ का प्रवेश प्रतिबंधित है यानि कोई भी बाहर का व्यक्ति यहां नहीं आ सकता लेकिन कुछ समय के पश्चात काफिर शब्द के स्थान पर निर्देशों पर काफिर की जगह पर ‘नॉन-मुस्लिम’ यानि कि गैर-मुस्लिम लिखा जाने लगा. इस बदलाव का कारण था काफिर शब्द का अर्थ. क्योंकि काफिर का उपयोग नास्तिक लोगों के लिए किया जाता है. ऐसे संदेशों के जरिए काफिर शब्द को हिन्दुओं से जोड़ दिया गया, जो एकदम गलत है. कहा जाता है कि ईसाई, यहूदी, पारसी और बौद्ध भी उस वर्जित क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर सकते.
क्या मक्का मक्केश्वर महादेव का मंदिर था?
यूं तो दुनिया भर में कई स्थानों को लेकर आलोचनाएं की जाती हैं लेकिन उनमें कितनी सच्चाई है जानना आवश्यक होता है. इसी तरह से मुसलमानों के सबसे बड़े तीर्थ मक्का के बारे में भी कहा जाता है कि यह किसी समय पर मक्केश्वर महादेव का मंदिर था. इस जगह पर काले पत्थर का विशाल शिवलिंग था जो खंडित अवस्था में अब भी वहां है और जिसे आज भी हज के समय संगे अस्वद (संग अर्थात पत्थर, अस्वद अर्थात अश्वेत यानी काला) कहकर मुसलमानों द्वारा पूजा जाता है. आगे पढ़े
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