नई दिल्ली। वरिष्ठ टीवी पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने अपनी एक किताब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तरह बताया है। उन्होंने अपनी किताब "2014 The Election That Changed India" में लिखा है कि मोदी और इंदिरा गांधी में लीडरशिप को देखते हुए एक जैसी समानताएं हैं। लेकिन कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी में लीडरशिप जैसी कोई क्वालिटी नहीं है। इस किताब में उन्होंने लिखा है कि जिस तरह से इंदिरा गांधी की कैबिनेट में उनके सहयोगी पीएम से डरते थे ठीक वैसे ही मोदी की कैबिनेट के मंत्री भी मौजूदा पीएम से डरते हैं।
इस किताब में कांग्रेस उपाध्यक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा गया है कि उनमें न तो कोई लीडरशिप की क्वालिटी ही है और न ही उनकी पार्टी में उनके साथी उनकी इज्जत ही करते हैं। वहीं दूसरी ओर मोदी का काम करने का स्टाइल काफी कुछ दिवंगत पीएम इंदिरा गांधी से मेल खाता है। दोनों का ही अपनी कैबिनेट के मंत्रियों के ऊपर जबरदस्त कंट्रोल है। 372 पन्नों की इस किताब में कहा गया है कि इन दोनों नेताओं के रहते हुए विपक्ष की भी कोई अहमियत नहीं रह जाती है। भाजपा का जिक्र करते हुए सरदेसाई लिखते हैं कि वह कांग्रेस को विपक्षी पार्टी मानने को ही तैयार नहीं है।
इस किताब में लेखक और वरिष्ठ पत्रकार ने आगे लिखा है कि मोदी ने अपनी कैबिनेट के मंत्रियों पर वो डर कायम किया हुआ है जिसकी बदौलत वह कभी अपने घर के मेन हॉल में किसी से बात करते हुए भी कतराते हैं। इसके लिए वह गार्डन या घर के पीछे की जगह को ज्यादा सुरक्षित मानते हैं। अपनी इस किताब में उन्होंने मोदी कैबिनेट में हुए बंटवारे का जिक्र करते हुए लिखा है कि अरुण जेटली मोदी के ज्यादा करीब रहने में सफल हुए जबकि सुषमा स्वराज पर मोदी को कम भरोसा है।
कैबिनेट में स्मृति के आने पर उन्होने लिखा है कि इसके पीछे मोदी ने यह संदेश भेजने कोशिश की है कि पार्टी में सिर्फ सुषमा ही एकमात्र महिला चेहरा नहीं है बल्कि स्मृति इरानी भी है। वह आगे लिखते हैं कि मोदी को अपने कई मंत्रियों की काfबलियत को लेकर संदेह है। राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए सरदेसाई ने लिखा है कि नेहरू गांधी परिवार के वह पहले ऐसे शख्स हैं जिनकी पार्टी में कोई पकड़ नहीं है। उनके नेतृत्व में कांग्रेस को इस लोकसभा चुनावों में करारी हार का सामना करना पड़ा है।
No comments